हे राम अयोध्या गई बदल.....
हे राम अयोध्या गई बदल।
रावण की संस्कृति हुई सफल।।
जिसने सरयू तट सजा दिया,
पीड़ा उसकी क्यों बढ़ी सकल।
बाबर ने गृह विध्वंस किया,
वर्षों तक सोई रही अकल।
सड़कें बदलीं सीरत बदली,
फिर प्राण प्रतिष्ठा हुई अटल ।
भक्तों पर गोली चलवाई,
सत्ता में उसकी हुई दखल।
असली-नकली का खेल चला,
आ बैठा फिर प्रतिपक्ष बगल।
मनोज सुसंस्कृति खतम हुई,
दशकंधर की दिख रही शकल।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’