होगी जय-जयकार, संभलकर चलना सीखो.....
होगी जय-जयकार, संभलकर चलना सीखो।
संकट हटें हजार, संभलकर चलना सीखो।।
देश प्रेम का ज्वार, उमड़े जन-जन के मन में।
माटी से कर प्यार, संभलकर चलना सीखो।।
ओढ़ गुलामी वस्त्र, सभी ने कष्ट हैं झेले ।
चुभते अब भी खार, संभलकर चलना सीखो।।
आजादी की बाड़, बड़ी मेहनत से रोपी।
संगठन ही आधार,संभलकर चलना सीखो।।
भारत रहे सतर्क, पड़ोसी हो गए बैरी।
दुश्मन घुसें अपार,संभलकर चलना सीखो।।
नैतिकता का पाठ, पढ़ाते जनमानस को।
फैला भ्रष्टाचार, संभलकर चलना सीखो।।
सत्य सनातन धर्म, कर रहा विनती सबसे।
देश हुआ गुलजार,संभलकर चलना सीखो।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’