जाँगर-तोड़ी करी कमाई.....
जाँगर-तोड़ी करी कमाई ।
बुरे वक्त में काम न आई।।
खूब सुनहरे सपने देखे,
नींद खुली तो थी परछाई।
घुटने टूटे कमर है रूठी,
खुदी बुढ़ापे की है खाई।
लाचारी की चादर ओढ़ी,
सास-बहू के बीच लड़ाई।
हँसी खुशी जीना था जीवन,
सिर-मुंडन को खड़ा है नाई।
मंदिर जैसे होते वे घर ,
सुख-शांति की हुई निभाई।
हिलमिलकर ही जीवन जीना,
इसमें सबकी बड़ी भलाई।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’