जीवन बड़ा सरल, दिखता है.....
जीवन बड़ा सरल, दिखता है।
भटके तो दलदल, दिखता है।।
चलो-राह पद-चिन्हों वाली।
मार्ग सदा उज्वल दिखता है।।
मखमल में रहना तो अच्छा।
पथ पर पग घायल दिखता है।।
सूरज की गर्मी भी अच्छी।
बढ़े-तपन बादल दिखता है।।
निर्भय होकर जिओ जिंदगी।
ममता का आँचल दिखता है।।
सुख-दुख सबके दिल के अंदर।
बाहर कोलाहल दिखता है।।
खेतों में जब बहे पसीना।
बदले में प्रतिफल दिखता है।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’