जीवन का लेखा-जोखा है.....
जीवन का लेखा-जोखा है।
जिन्दा रहे तभी चोखा है।।
सही राह पर जब हम चलते,
सच्ची दौलत का खोखा है।।
गीता में उपदेश लिखा सुन,
रिश्ते-नाते सब धोखा है।
श्रम को जो अनदेखा करता।
बहे-पसीने को सोखा है।
जीवन-धन हमको है मिलता,
सबका भाग्य अनोखा है।
तन का मकाँ बनाया उसने,
इन्द्रियाँ-आँख झरोखा है।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’