जीजा जिज्जी को ले जाता.....
जीजा जिज्जी को ले जाता।
गले में खुद घंटी बंँध-वाता।।
भाग्य विधाता जिज्जी का वह।
ससुरालय में खुशियाँ लाता।।
मानदान वह घर का होता।
हर सुख-दुख में काँध लगाता।।
सालों की जब शादी होती।
घर-माहौल बदल ही जाता।।
जिज्जी के जाते ही सुन लो।
भाभी का खुल जाता खाता।।
साली की शादी में जीजा।
होली नहीं खेल है पाता।।
सास-ससुर जबतका हैं जिन्दा।
बना हुआ यह रिश्ता-नाता।।
दोनों के जाते उस घर में।
जीजा नहीं किसी को भाता।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’