कष्टों का अंबार लगा है.....
कष्टों का अंबार लगा है।
छलछद्मी बाजार लगा है।।
जिसके अंतर्मन में झाँको,
दुखियारा संसार लगा है।
माँ गंगा के दो पाटों में,
पानी-फसल कछार लगा है।
धनवानों की बात करो मत,
लाने-नीर कहार लगा है।
राजनीति की खुली दुकानें,
बेटा-खड़ा कतार लगा है।
अमरीका ने धौंस दिखाई,
युक्रेन-संधि करार लगा है।
इजराइल नें ठौंका जमकर ,
दिल में उसे कटार लगा है।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’