कविता सर्जक बहुत व्यस्त हैं.....
कविता सर्जक बहुत व्यस्त हैं।
देख प्रकाशक सभी मस्त हैं।।
छपवाने की होड़ मची अब।
रिश्ते-नाते सभी त्रस्त हैं।।
खुद ही लिखें पीठ खुद ठोंकें।
छंद-विज्ञानी सभी पस्त हैं।।
श्रोता-पाठक हुए अनगिनत।
उदरपूर्ति कर पड़े लस्त हैं।।
लंबी-चौड़ी कविता पढ़ दें।
चाँद-सितारे हुए अस्त हैं।।
बैनर सजा विमोचन का फिर।
फूल नारियल शाल हस्त हैं।।
प्रशस्ति पत्र का दौर चल रहा।
पिछली आमद सभी ध्वस्त हैं।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’