माना कि उलझनों से.....
माना कि उलझनों से, परेशान हूँ मैं ।
डिगा न संकटों से, वह इंसान हूँ मैं ।।
ठोकर जमाने में, खाई तो बहुत हैं ,
ईश्वर की कृपा का, मेहरबान हूँ मैं ।
उड़ा आकाश में, परिन्दों की तरह ,
वासिंदा इस धरा का, निगेहबान हूँ मैं ।
मित्रों ने ही अक्सर, भोंके-पीठ-खंजर,
दोस्ती की फितरत का, आसमान हूँ मैं ।
विश्व भर में न्यारा, देश मेरा भारत ,
माँ भारती के दिल का, अरमान हूँ मैं ।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’