मानव हर युग दले गए.....
मानव हर युग दले गए हैं।
हर संकट में तले गए हैं।।
सतयुग हो या द्वापर का युग,
राम कृष्ण भी छले गए हैं ।
कौन है अमृत पीकर आया,
छोड़ सभी कुछ चले गए हैं।
सूरज ने सबको तड़पाया,
तपती धूप से ढले गए हैं।
आश्रय तो बरगद ही देता,
गुण-अवगुण में पले गए हैं।
पर-उपकारी वृक्ष हमारे,
निस्वार्थी ही फले गए हैं।
ईश्वर की अनुकम्पा सब पर,
फिर भी हम सब खले गए हैं।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’