नैतिकता की हुई धुनाई.....
नैतिकता की हुई धुनाई।
मौन खड़ी है अब तरुणाई ।।
गली मुहल्ले घूम रहे हैं,
जिनने सबकी नींद उड़ाई।
जीवन जीना नर्क बन गया,
शैतानों ने खोदी खाई।
सज्जनता दुबकी है बैठी,
दुर्जनता के बीच लड़ाई।
आताताई हैं मुट्ठी भर,
बहुसंख्यक की नहीं सुनाई।
डंडा लिए खड़े रखवाले,
पता नहीं किसकी परछाई।
कष्टों की पहनाई माला,
नेताओं ने खूब निभाई ।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’