पीड़ाओं का अंत हुआ है.....
पीड़ाओं का अंत हुआ है।
तन निर्जीवी संत हुआ है।।
नेह लगी है जबसे उनसे,
ईश्वर ही अब कंत हुआ है।
इच्छाओं ने मुख है मोड़ा,
सहज जीव भगवंत हुआ है ।
ज्यों-ज्यों उमर बढ़े जीवन की,
बत्तिस-दंत अदंत हुआ है।
जीत सके जो विषयेंद्रिय को,
मन का वही महंत हुआ है।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’