राजनीति में बड़ा झमेला.....
राजनीति में बड़ा झमेला।
सबका अपना खुला तबेला।।
नेतागिरी चलाने खातिर,
भाषण-विज्ञापन का मेला।
हर चुनाव की एक कहानी,
टूटी-टांग से होता खेला।
फौज पली है सबकी अपनी,
जनता खाती रहे करेला।
एक बार जो चुनकर आता,
पाँच बरस तक नहीं अकेला।
सरकारी हर नौकरशाही,
जीवन भर ही खाता केला।
राजनीति में परख किसे अब,
अब भी देखो चलता धेला ।
वोटतंत्र के कुशल खिलाड़ी,
सबके अपने-अपने चेला।
शासन तंत्र चले जब पीछे,
जनता का चलता है रेला ।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’