राजनीति का ऐसा हाल.....
राजनीति का ऐसा हाल।
कौए चलें हंस की चाल।।
साल-साल में रहें चुनाव ।
घोषणाओं का अमृत काल।।
गठबंधन की चढ़ती-हँडी।
अंदर पकती काली दाल।।
दल-दल में डूबें सब लोग।
नेता जी हैं मालामाल।।
निज स्वार्थ की होड़ मची है।
नाच रहे कुछ बेसुर-ताल।।
भुना रहे पुरखों का नाम।
हुए हैं भ्रष्टाचारी लाल।।
देश लूटते मंत्री-कंत्री ।
रिवड़ी पाते दीनदयाल।।
मंचों पर बटता सम्मान।
लाएँ माला अपनी शाल।।
सीमाओं का रक्षक सैनिक।
नतमस्तक सबका है भाल।।
करें देश हित मिलकर काम।
योगदान की सुदृढ़-ढाल।।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’