सागर को जब पार किया है.....
सागर को जब पार किया है।
तब जग ने सम्मान दिया है।।
डरे नहीं झंझावातों से,
जीवन को निर्भीक जिया है।
जितनी चादर मिली जगत में,
उसको ओढ़ा और सिया है।
स्वाभिमान से जीना सीखा,
प्रेम भाव में गरल पिया है।
लक्ष्य साध कर बढ़े सदा तो,
विजयी-भव वरदान लिया है।
पास रहें बेटा कितने पर
पीड़ा हरती बस बिटिया है ।
जीवन हो मंगलमय सबका,
मानवता ही वह पहिया है ।
राम कृष्ण गौतम मसीह ने ,
दुख-दर्दों का हरण किया है।
सागर कितना बड़ा रहा पर,
प्यास बुझाने को नदिया है।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’