समझ न आती उनकी माया.....
समझ न आती उनकी माया।
बुरी पड़ी है कुछ पर छाया।।
काबुल,टर्की,पाक सभी ने,
रक्त बहा कर मन बहलाया।
आतँकी मंत्री जी बन गए,
अपराधों में मन भरमाया।
बने हुए आँखों के अंधे,
तालिबान जिनको है भाया।
माँ की महिमा खूब बखानी ,
उनकी थी शायद वह आया।
अपनों का ही खून बहाते,
मातृ शक्ति को है धमकाया।
एक बार वे जाकर रह लें,
सोएगी ताबूत में काया।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’