यह देश हमारा चंगा है.....
यह देश हमारा चंगा है।
भारत में बहती गंगा है।।
भूतल से हमने नभ नापा,
लहराया विश्व तिरंगा है।
जिस-जिसने शत्रु भाव रखा,
हो रहा अर्थ में नंगा है।
जिसके अंदर छल छद्म भरा,
बस वही कराता दंगा है।
हम बनें विश्व में बलशाली,
क्यों कोई लेगा पंगा है।
नेता कहें राष्ट्रीय खुद को,
पर चाल ढाल बेढंगा है।
हाथों में जिसके हैं पत्थर,
अब समझो वही लफंगा है।
हम विश्व गुरू बनने आतुर,
यह भारत रंग-बिरंगा है।
मनोज कुमार शुक्ल ‘मनोज’